स्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
अर्थ: पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है। त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन more info त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास में दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने, ध्यान करने और व्रत रखने से किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता।
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
हनुमान चालीसा लिरिक्स Shiv chaisa
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
भक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »इस चालीसा को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥